हमारी सनातन संस्कृति के धर्मशास्त्रों में वैदिक मंत्रों का काफी गुणगान किया गया है। मंत्रों को देववाणी बताकर उनके जाप से जीवन के उत्थान की बात कही गई है। शास्त्रों में कहा गया है कि मंत्रों में वह शक्ति होती है कि वो मनुष्य को तार दे। हर देवी देवता के अपने मंत्र होते हैं और उनके स्मरण मात्र से मानव के उन्नति और उसकी सफलता के द्वार खुलते हैं।
मंत्र की यदि धार्मिक कर्मकांड में बात की जाए तो सबसे पहले वैदिक मंत्रों की बात होती है। मान्यता है कि वैदिक मंत्रों को सिद्ध करने में काफी समय लगता है। लोकिन वैदिक मंत्रों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यदि उनको एक बार सिद्ध कर लिया जाए तो वे फिर कभी भी नष्ट नहीं होते हैं। मानव जीवन में उनका प्रभाव सदैव बना रहता है। जिस किसी भी मनुष्य ने अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए वैदिक मंत्रों को सिद्ध कर लिया है, तो उसकी जिंदगी में उस मंत्र का प्रभाव हमेशा बना रहता है।
वैदिक मंत्रों को सिद्ध करने में जहां कड़ी मेहनत और ध्यान की जरूरत होती है वहीं तांत्रिक मंत्र वैदिक मंत्र की अपेक्षा जल्दी सिद्ध हो जाते हैं और अपना फल भी मानव को जल्दी दे देते हैं। लेकिन तांत्रिक मंत्र जिल्दी सिद्ध होते हैं उतनी ही जल्दी उनका प्रभाव भी समाप्त हो जाता है। यानी जितनी जल्दी तांत्रिक मंत्र अपना असर दिखाते हैं उनकी शक्ति भी उतनी जल्दी क्षीण हो जाती है। तांत्रिक मंत्रों का प्रभाव वैदिक मंत्रों की अपेक्षा कम सम तक बना रहता है।
ज्योतिषाचार्य कृष्णा त्रिपाठी जी ने बहुत सारे जातको का वैदिक मंत्र और तांत्रिक मंत्र के माध्यम से सफल अनुष्ठान किये है और इससे लोगो को काफी फायदा भी हुआ बल्कि उनसभी जातको ने अपने सगे सम्बन्धियों को भी बतलाया और उन सभी ने भी यह अनुष्ठान करवाया है और एक सफल जीवन जी रहे है। यदि आप भी किसी गंभीर समस्या से ग्रसित है तो घबराइए नहीं हमसे संपर्क करे और तुरंत लाभ पाए।